आम सिखों को पीड़ित बताकर कैसे भेजा जाता है कनाडा, ये आंकड़े करते हैं बड़ा खुलासा?

आम सिखों को पीड़ित बताकर कैसे भेजा जाता है कनाडा, ये आंकड़े करते हैं बड़ा खुलासा?

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Canada Immigration Policy For India: कुछ लोगों का एक धड़ा है जो विदेशों में जाकर नागरिकता की मांग करता है, लेकिन इसका तरीका अजीबो-गरीब है. बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में बसने के लिए पंजाब के लोगों का एक बड़ा वर्ग खुद को ये दिखाने की कोशिश करता है कि भारत में उनकी प्रताड़ना की जाती है.  बिजनेस लाइन ने एक सरकारी सूत्र के हवाले से बताया है कि खुद को उत्पीड़न का शिकार बताकर इस तरह की साजिशें खालिस्तानी गतिविधियों का भड़काने में मदद करता है. 

अखबार बताता है कि इसके लिए लोग उस देश को एक पत्र भेजते हैं जहां वे जाना चाहते हैं. इस पत्र में भारत को पुलिस राज्य के तौर पर पेश किया जाता है.  पत्र भेजने में पार्टियों की संलिप्तता भी देखी गई हैं. अखबार लिखता है कि पंजाब की राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल(अमृतसर) ने भी सिखों के लिए दूसरे देशों में ऐसे पत्र तैयार किए हैं. शिरोमणि अकाली दल के नेता सिमरनजीत सिंह मान ने स्वीकार किया था कि उनकी पार्टी ने ऐसे पत्र जारी किए थे. 

सिमरनजीत सिंह मान ने बिजनेसलाइन से बताया था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है. सिख समुदाय ऑपरेशन ब्लू स्टार और दंगों से डरी हुई है. इसलिए लोग विदेशों में राजनीतिक शरण तलाश रहे हैं. 

कनाडा की इमीग्रेशन पॉलिसी

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने साल 2018 में कनाडा की इमीग्रेशन पॉलिसी को लचीला कर दिया था. ट्रूडो ने तब घोषणा की थी कि आने वाले तीन सालों में कनाडा में 12 लाख लोगों को स्थायी दर्जा दिया जाएगा, लेकिन कोविड-19 की वजह से इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका. इसके बाद कनाडा सरकार ने इस लक्ष्य को बढ़ाकर 15 लाख कर दिया. कनाडा की इमीग्रेशन पॉलिसी की सबसे कमजोर कड़ी है कि वहां बसने के लिए नौकरी का होना अनिवार्य नहीं है. 

क्या भारत के लिए ज्यादा उदार है कनाडा की इमीग्रेशन पॉलिसी?

वैसे तो भारत और कनाडा के संबंध कभी बहुत अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन 2022-24 में कनाडा की इमीग्रेशन पॉलिसी से सबसे ज्यादा लाभ भारतीयों को होता दिखता है. आकंडो के मुताबिक, कनाडा ने घोषणा की थी कि वह 2022 में 431,000 से ज्यादा, 2023 में 447,055 और 2024 में 451,000 से ज्यादा प्रवासी को देश नागरिक बनाएगा. इनमें 50,000 से  ज्यादा लोगों को स्थायी निवासी बनने के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया था. बिजनेस लाइन ने रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2020 में 27,000 से ज्यादा भारतीयों ने कनाडा में बसने की इजाजत मिली.

कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों की क्या है वजह?

6 जून  2023 को कनाडा के ब्रैंपटन शहर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39 वीं बरसी मनाई गई थी. इसमें पांच किलोमीटर लंबी जूलूस यात्रा की गई थी. इस जूलूस के दौरान खुलेआम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एक पुतले को खून से लथपथ दिखाया गया था और इसके साथ ही एक पोस्टर में लिखा था-  ‘दरबार साहिब पर हमले का बदला’. 

बीते दशक में कनाडा में भारत से जाने वाले लोगों का ग्राफ कई गुना बढ़ता हुआ दिखा है. कनाडा के इमीग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड की आंकडों के मुताबिक भारत की ओर से साल 2013 में सिर्फ 225 लोगों ने देश में शरण लेने के लिए आवेदन दिए थे, लेकिन साल 2021 में ये संख्या बढ़कर 2642 हो गई. कनाडा ने ये आंकडा ‘उत्पीड़न देशों के शरणार्थी’ के तौर पर पेश किया था. 

क्या है कनाडा का प्वाइंट बेस्ड इमीग्रेशन मॉडल?

बीबीसी के मुताबिक कनाडा में इमीग्रेशन का पुराना इतिहास रहा है. दूसरे विश्वयुद्ध के कनाडा ने अपने यहां लोगों को बसाना शुरू कर दिया ताकि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाई जा सके. 

1960 के दशक में कनाडा ने पॉइंट बेस्ड इमिग्रेशन मॉडल को लोगों को बसाने के लिए अमल में लाया. गौरतलब हो कनाडा ऐसा करने वाला पहला देश है. 

इस मॉडल के तहत लोगों को उनकी पढ़ाई, जानकारी, रिश्तेदारी की एवज में कुछ अंक दिए जाएंगे, बाद में इन अंकों के आधार पर ये तय किया जाएगा कि व्यक्ति को किस स्तर को नागरिकता दी जाएगी. 

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