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Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 अक्टूबर) को कहा कि वो समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता नहीं दे सकते क्योंकि कानून बनाने का अधिकार संसद को है. इसपर मुख्य याचिकाकर्ता सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग सहित एक्टिविस्ट ने कहा कि हमे उम्मीद थी, लेकिन हमारे पक्ष में फैसला नहीं गया.
अभय डांग ने कहा, ” शुरु में हमें थोड़ी बहुत उम्मीद थी, लेकिन धीरे-धीरे ये कम होती गई. फैसले से हम बहुत दुखी हैं. हमें लग रहा था कि कुछ तो मिलेगा.” उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए आगे कहा कि समाज और देश जिस तरह से आगे बढ़ रहा है तो एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) के अधिकारों को लेकर स्वीकारता बढ़ रही है.
वहीं सुप्रियो चक्रवर्ती ने कहा, ”सुनवाई के दौरान पता लग गया था कि सब कुछ तो नहीं मिल रहा. समय लगेगा और फिर से वापस आएंगे. आज बुरा लगा, लेकिन उम्मीद अभी भी है. साल 2018 से अब तक काफी आगे बढ़ें हैं. ऐसे में आशा रखना जरूरी है.”
किसने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, LGBTQIA+ के अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक्टविस्ट और मामले में याचिकाकर्ता हरिश अय्यर ने कहा कि फैसला हमारे पक्ष में नहीं गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई टिप्पणी की जो कि हमारे पक्ष में थी. वहीं क्वीयर हिंदू अलायंस के फाउंडर अंकित भूपतानी ने कहा कि पूरा जजमेंट प्रगितिशील और सकारात्मक है क्योंकि कोर्ट ने हमारे कई अधिकारों की बात की.
केंद्र सरकार क्या बोली?
केंद्र सरकार ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर उसके की गई कोई संवैधानिक घोषणा संभवत: सही कार्रवाई नहीं हो क्योंकि अदालत इसके परिणाम का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और इससे निपटने में सक्षम नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट क्या बोला?
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने संबंधी 21 याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले में उनका, जस्टिस संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा का अलग-अलग फैसला है. जस्टिस हिमा कोहली भी इस पीठ में शामिल हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाए. उन्होंने कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है और इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है.
इनपुट भाषा से भी.
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